किरायानामा कैसे बनता है | Rent Agreement Format in Hindi

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नमस्कार दोस्तों online job में आप का स्वागत है आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि अगर आपको अपना घर किराए पर देना है । तो आप भी मसौदा तैयार करना होगा इसके लिए किसी वकील द्वारा परफार्मा तैयार कराया जाता है। जिसे rent agreement कहा जाता है।

किरायानामा क्या होता है | Rent Agreement Kya Hota Hai

मकान मालिक और किरायेदार के बीच एक समझौता है । इसमे संपत्तियों की शर्तें रखी जाती है। जो सम्पत्ति किराये पर दी जाएगी। इसका मसौदा किसी वकील या कानूनी अधिकारी से भी तैयार कराया जा सकता है। आप अपना घर या दुकान किराये पर देते हैं। तो आप इसके लिए Rent दस्तावेज (Rent Agreement) तैयार करना होता है जिसे ‘किरायानामा’ यानी Rent Agreement कहते हैं।

किरायेनामे में कौनसे डाक्यूमेंट्स चाहिए

इसमे दो गवाहों की आइडीे की कापी आधार कार्ड की फोटो कापी ओरिजिनल प्रूफ एवं पास पोर्ट साइज़ फोटो
स्टांप पेपर आदि जमा किया जाता है।

किराएदार मकान मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो आधार कार्ड की कॉपी और कुछ पैसा जो पगड़ी के तौर पर तय किया गया है।वह भी जमा किया जाता है।

अगर यह सब चीजें नहीं होती है तो मसौदा तैयार नही हो सकता है।

किरायानामा कितने समय के लिए बनता है

जो लोग यह rent agreement करते हैं, वे भी इसके बारे में जानकारी नहीं रखते हैं। हम आपको बताएंगे कि rent Agreement हमेशा 11 महिने का होता है। साइन भी पहले होते हैं। साइन होने के बाद कोई बदलाव नहीं होते हैं।
जब भी कोई व्यक्ति अपना घर या कोई दुकान किराये पर देता है तो उसे डर होता है। कि कहीं किराएदार कुछ साल यहां रहने के बाद इस पर कब्जा ना कर लें. कहते है कि जब किराएदार को काफी Time बीत जाता है । और वह किराएदार यहीं रहता है तो वो उस पर कब्जा कर सकता है।.यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कहीं किराएदार राशनकार्ड इस पते कि न बनवा लें मीटर न लगवा लें अपने नाम का यह सारे सबूत पक्के होते हैं। इसके जरिए भी किसी मकान पर कब्जा किया जाता है। इसी सब को देखते हुए मकान मालिक 11माह का मसौदा तैयार कराता है। यह मसौदा दोनों की रज़ामदनदी से आगे भी बढ़या जा सकता है।इस मसौदे में जो भी लिखा गया है। उसमें फेर बदल नहीं होता है।वह 11 माह के लिए माननीय होता है। कुछ भी संशोधन नहीं किया जाता है।

किरायेदार मकान खाली ना करे तो क्या करें?

यदि किराए दार मकान या दुकान खाली ना करे , तब अपने जीले की अदालत में कब्जे का मुकदमा किया जा सकता है। किसी भी किराएदार को मकान या दुकान को किराया देने से पहले राज्य के “रेंट कंट्रोल एक्ट” के तहत सुनवाई की जाती है। कब्जा खाली कराने के लिए वकील की सहायता से एक नोटिस दिया जा सकता है।इसके बावजूद मकान या दुकान खाली ना किया गया हो, तो जिला अदालत में बेदखली का मुकदमा दायर किया जा सकता है। नया कानून जब से बना है। उसके मुताबिक, किरायेदार जो रकम एडवांस देता हैं। वो दो महीने के किराये से ज्यादा नहीं हो सकती.अगर मकान मालिक को किराया बढ़ाना है।तब वो किरायेदार को कम से कम तीन महीने पहले मकान मालिक किरायेदार को किराया बढ़ाने के नोटिस देगा।दोनों Party’s के बीच अच्छा तालमेल है। तब बात चीत के द्वारा भी किराया बढ़ाया जा सकता है। या मकान खाली कराया जा सकता है।

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